BA First Semester खत्म होते ही शुरू होगा Second Semester? जानिए पूरी जानकारी और Student Planning Tips

BA First Semester खत्म होते ही शुरू होगा Second Semester? जानिए पूरी जानकारी और Student Planning Tips

  • प्रथम सेमेस्टर हो गया खत्म, अब क्या सच में दूसरा सेमेस्टर इतनी जल्दी शुरू करें?



पहली बार कॉलेज की परीक्षा देकर जो अनुभव हुआ, वो अजीब भी था और सीखने लायक भी। पेपर खत्म होने के बाद ऐसा लगा जैसे जिम्मेदारी से कुछ राहत मिली हो, लेकिन ये राहत ज़्यादा देर नहीं ठहर पाई। अंदर कहीं एक आवाज़ बार-बार कहती रही – "अब क्या करोगे? पढ़ाई दोबारा शुरू करोगे या थोड़ा आराम कर लोगे?" यही सोचते-सोचते कई दिन निकल जाते हैं।


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 सोशल मीडिया स्क्रॉल करते हुए लगता है कि सब कुछ आसान है, लेकिन असल तैयारी वहीं से शुरू होती है जहां हम दूसरों से नहीं, खुद से सवाल पूछते हैं। और सच्चाई ये है कि अगर अब से दूसरा सेमेस्टर हल्के में लिया, तो आगे पछतावा पक्का है। क्योंकि हर सेमेस्टर खुद को साबित करने का मौका है। और अगर पहले सेमेस्टर में कुछ कमियां रह भी गईं, तो अब सुधार का समय है — और इस बार चूकना नहीं चाहिए।

क्या आप जानते है? 

अगर आपने मेरे साथ जुड़ने में देरी की है तो शायद आपको पता नहीं होगा कि प्रथम सेमेस्टर में हमने सभी विषयों के महत्वपूर्ण प्रश्न उपलब्ध करवाए थे। जो की परीक्षा में 90 से लेकर 100% तक आने के चांस रखते थे।

क्या सिर्फ अर्जुन पंचारिया सिंधु के नोट्स और प्रश्नों से काम चल जाएगा?

इस सवाल का जवाब सीधा है – अगर अर्जुन पंचारिया सिंधु के साथ सही समय पर जुड़ गए, तो काम चलने का नहीं, काम सँवरने का भरोसा होता है। वे कोई टॉपर छात्र नहीं, लेकिन उनसे बेहतर कोई सहायक नहीं। वह छात्रों की मदद के लिए समय से पहले टॉपिक वाइज नोट्स देते हैं, और परीक्षा से कुछ दिन पहले वह महत्वपूर्ण प्रश्नों की सूची भी तैयार कर देते हैं – वह भी उत्तर के साथ। 

उनका दावा नहीं, उनका काम बोलता है – और छात्र खुद बताते हैं कि उन्हीं के द्वारा दिए गए प्रश्नों में से 98% परीक्षा में सीधे-सीधे आ जाते हैं। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आप खुद कुछ न करें और बस इंतज़ार करें कि अर्जुन पंचारिया सिंधु कुछ पोस्ट करेंगे। 

अगर आप उनकी सहायता को अपनी तैयारी में जोड़ लेते हैं, तो मानिए आपने आधी जंग पहले ही जीत ली है। लेकिन पूरी तैयारी तभी होगी जब आप खुद भी समय से पढ़ाई में लगे रहें।

वन वीक की तैयारी: एक झूठी तसल्ली या बचपन की आदत?

परीक्षा सिर पर है, और हम सोचते हैं – "चलो एक हफ्ते की जबरदस्त तैयारी कर लेते हैं। अबकी बार रातों को जागकर सब कर डालेंगे।" लेकिन सच्चाई ये है कि ये प्लानिंग उतनी ही झूठी होती है जितनी हमारी 'कल से शुरू करेंगे' वाली आदत। जब तक किताब के पन्ने पलटने का समय आता है, तब तक दिमाग बोझिल और दिल डरा हुआ होता है।

 मैंने खुद कई बार कोशिश की है कि आखिरी हफ्ते में सबकुछ कवर कर लूं – लेकिन हर बार नतीजा वही रहा – अधूरी नींद, अधूरे उत्तर, और अधूरा आत्मविश्वास। 

और जब आप पेपर देने बैठते हैं, तो आपको वो आता है जो सवाल में नहीं होता, और जो सवाल में होता है वो भूल जाते हैं। यही वजह है कि जो छात्र अर्जुन पंचारिया सिंधु के बताए गए प्रश्नों को पहले से हल करते हैं, वे परीक्षा के समय शांत और आत्मविश्वासी होते हैं। वन वीक स्ट्रेटजी से कहीं बेहतर है कि हम अर्जुन पंचारिया सिंधु की सहायता से एक सही दिशा में, पहले से पढ़ाई शुरू कर दें।

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हम सब सोचते हैं कि अभी तो बहुत वक्त है, चलो थोड़ा सुस्ता लें, मन लगा लें, मोबाइल देख लें, एक सीरीज और देख लेते हैं – फिर पढ़ाई शुरू करेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये "थोड़ा सा समय" ही सबसे बड़ा धोखा है? 

आज अगर आपने एक घंटा भी कुछ सीखा तो वो एक कदम आगे है। और अगर हर दिन एक-एक कदम आगे बढ़ते रहें, तो महीने के अंत तक हम मीलों दूर खड़े होंगे उन लोगों से जो अभी भी “सोच” रहे होंगे। जो छात्र परीक्षा के ठीक एक दिन पहले अर्जुन पंचारिया सिंधु के प्रश्नों को देखकर घबराते हैं, वो इसलिए क्योंकि उन्होंने समय पर शुरुआत नहीं की होती। 

वहीं जो पहले से ही रोज थोड़ा-थोड़ा पढ़ते हैं और उनके नोट्स की मदद लेते हैं, उनके लिए परीक्षा सिर्फ़ एक फॉर्मेलिटी बन जाती है। इसलिए सवाल ये नहीं कि "शुरुआत करें या नहीं", सवाल है – "आखिर और कितना टालोगे?"

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