मार्कशीट में कम नंबर देखकर किया Revaluation, लेकिन नंबर और कम – सही या गलत निर्णय?

“भाईया मेरा इस साल BA का फाइनल ईयर था। रिजल्ट के बाद मैंने रिवैल्यूएशन के लिए अप्लाई किया क्योंकि मुझे पूरा यकीन था कि मेरे नंबर बढ़ सकते हैं, लेकिन नंबर तो और भी कम हो गए। अब मैं क्या करूं?”

Mgsu Bikaner: मार्कशीट में कम नंबर देखकर किया Revaluation, लेकिन नंबर और कम – सही या गलत निर्णय?

इस तरह के मैसेज हर साल हजारों छात्रों के दिल का दर्द बयां करते हैं। रिवैल्यूएशन (Revaluation) यानी उत्तर पुस्तिका की दोबारा जांच एक उम्मीद की किरण होती है, लेकिन जब उस उम्मीद के उलट नतीजे आते हैं, तो छात्र टूट जाते हैं। आइए इस पूरे मुद्दे को विस्तार से और मानवीय नजरिए से समझते हैं। 

1. Revaluation का मकसद क्या होता है?

रिवैल्यूएशन का सीधा मतलब है कि आपकी कॉपी को एक बार फिर से जांचा जाए। कई बार ऐसा होता है कि:

  • उत्तर सही होते हुए भी जांचने वाले ने नंबर कम दिए होते हैं
  • कुछ उत्तर चूक जाते हैं या स्कैनिंग में समस्या हो जाती है
  • टोटलिंग में गलती हो जाती है

ऐसे मामलों में छात्र सोचते हैं कि शायद उनकी कॉपी सही तरीके से जांची नहीं गई और इसलिए रिवैल्यूएशन कराना जरूरी हो जाता है।

2. Revaluation में नंबर कम कैसे हो जाते हैं?

यह बहुत बड़ा सवाल है और जवाब थोड़ी सच्चाई के साथ समझना होगा।

  • कॉपी किसी नए परीक्षक को दी जाती है जो पहले से दिए गए नंबरों को देखे बिना पूरे पेपर को फिर से जांचता है।
  • अगर उस परीक्षक को लगता है कि कुछ जवाब उतने अच्छे नहीं हैं जितने नंबर पहले दिए गए थे, तो वह नंबर घटा भी सकता है।
  • कई विश्वविद्यालयों में यह नियम होता है कि रिवैल्यूएशन के बाद जो भी अंक आते हैं, वही अंतिम रूप से लागू होते हैं, चाहे वो पहले से कम हों या ज्यादा।

इसलिए रिवैल्यूएशन एक रिस्क भी है।

3. क्या रिवैल्यूएशन का आवेदन करना गलत था?

बिलकुल नहीं।

अगर आपको लगा कि आपने पेपर अच्छे से लिखा था, मेहनत की थी और नंबर अपेक्षा से बहुत कम आए हैं, तो रिवैल्यूएशन कराना आपका अधिकार है।

गलती वहां होती है जब छात्र भावनाओं में आकर बिना सोच-समझ के हर विषय के लिए आवेदन कर देते हैं, खासकर ऐसे विषयों में जहां खुद उन्हें भी अंदाजा होता है कि उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था।

4. Revaluation कब कराना चाहिए?

रिवैल्यूएशन कराने का सही समय वो होता है जब:

  • आपने पेपर में पूरा जवाब लिखा था और फिर भी नंबर बहुत कम मिले हैं।
  • उत्तर पुस्तिका में कुछ सवालों की जांच ही नहीं हुई है (जिसका पता आप उत्तरों को मिलाकर लगा सकते हैं)।
  • टोटलिंग में गलती हो सकती है।
  • पासिंग मार्क्स से बस कुछ ही नंबर कम हैं और आपको भरोसा है कि बढ़ सकते हैं।

रिवैल्यूएशन नहीं कराना चाहिए जब:

  • आपने खुद ही पेपर अधूरा छोड़ा हो या प्रश्न पूरे नहीं किए हों।
  • आपको लगता है कि बस किस्मत से नंबर बढ़ जाएं।
  • सिर्फ दोस्त कह रहे हैं कि कर दो, शायद बढ़ जाएं।

5. अगर Revaluation में नंबर कम हो जाएं तो क्या करें?

यह सबसे कठिन परिस्थिति होती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सब खत्म हो गया है।

  • यदि नए नंबर से फेल हो गए हैं तो देखें क्या बैक पेपर (supplementary) या ग्रेस मार्क्स जैसी कोई व्यवस्था है।
  • अगर पास हैं लेकिन पहले से कम नंबर आए हैं, तो आपको उस रिवाइज्ड स्कोर को स्वीकार करना होगा।
  • मानसिक रूप से खुद को संभालिए। रिवैल्यूएशन का निर्णय आपने आत्मविश्वास के साथ लिया था, और हर निर्णय का कोई न कोई परिणाम होता है – अच्छा या बुरा।

6. विश्वविद्यालय की भूमिका और जिम्मेदारी

  • विश्वविद्यालयों को रिवैल्यूएशन को पारदर्शी और जिम्मेदार प्रक्रिया बनानी चाहिए।
  • छात्र को कॉपी की स्कैन प्रति देना और प्रक्रिया की जानकारी देना आवश्यक है।
  • नंबर कम होने की स्थिति में छात्र के पास अपील या अंतिम समीक्षा का विकल्प होना चाहिए।

7. क्या अगली बार भी रिवैल्यूएशन कराना चाहिए?

हाँ, लेकिन सीख के साथ।

अगर इस बार आपने सिर्फ भरोसे के आधार पर आवेदन किया था, तो अगली बार सिर्फ तभी करें जब आपको उत्तरों पर पक्की पकड़ हो और कॉपी में कुछ ठोस गलतियां नजर आएं।

8. मानसिक स्थिति को कैसे संभालें?

  • किसी एक पेपर के कारण खुद को कमजोर या असफल न मानें।
  • यह सिर्फ एक रुकावट है, मंज़िल नहीं।
  • अपने परिवार, दोस्तों या सीनियर्स से बात करें। अकेले न रहें।
  • खुद को दोबारा साबित करने का मौका मिलेगा — अगली परीक्षा, बैक पेपर या आने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं में।
👇छात्र का प्रूफ स्क्रीन शॉट 👇


9. अंतिम सलाह — Revaluation को कैसे समझें?

Revaluation एक अधिकार है, लेकिन उसका इस्तेमाल ज़िम्मेदारी से करें।

हर बार यह जरूरी नहीं कि नंबर बढ़ ही जाएंगे। जो छात्र यह सोचकर आवेदन करते हैं कि “शायद कुछ बढ़ जाए” उन्हें कई बार नुकसान झेलना पड़ता है। लेकिन जिनको लगता है कि वास्तव में उनकी कॉपी में गलत जांच हुई है, उनके लिए यह एक बड़ा सहारा भी बन सकता है।

निष्कर्ष

आपके जैसे बहुत से छात्र हैं जो इस स्थिति से गुजरते हैं। खुद को दोष न दें। रिवैल्यूएशन एक प्रक्रिया है, नतीजा चाहे जो भी हो, सीख लेकर आगे बढ़ना ही एक सच्चे विद्यार्थी की पहचान है।

अगर आपको कोई और सवाल या समस्या हो, तो निसंकोच पूछिए। हर छात्र को अपनी मेहनत का सही फल मिलना चाहिए — और हर स्थिति से बाहर निकलने का रास्ता भी।

आपके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ।


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